Tuesday, March 9, 2010

BIRDS ARE GOLD MINES OF EARTH.

हम पंक्षी उन्मुक्त गगन के पिंजरबंद न गा पाएंगे ,
कनक -तितलियाँ से टकराकर पुलकित पंख टूट जायेंगे।
हम बहता जल पीने वाले मर जायेंगे भूखे प्यासे ,
कहीं भली है कटुब निबौरी कनक कटोरी की मैदा से॥

स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में अपनी गति उरान सब भूले,
बस सपने में देख रहें हैं तरु की फुनगी पर के झूले।
ऐसे थे अरमान की उरते नीले नभ की सीमा पाने,
लाल किरण सी चोंच खोल चुगते तारक अनार के दाने॥

होती सीमाहीन छितिज़ से इन पंखों की होरा होरी,
या तो छितिज़ मिलन बन जाता या तनती सांसों की डोरी।
नीर न दो चाहे टहनी का आश्रय छीन भिन्न कर डालो,
लेकिन पंख दिए है तो आकुल उरान में विघ्न न डालो॥